Monday, September 28, 2009

पीपल तलै की-2

आज कई दिनों के बाद मनबीर को पीपल तलै आता देख पहले से पीपल तलै बैठे नरेंदर पप्पू धर्मबीर व् कृषण के चहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। पप्पू ने चहकते हुए कहा जमा ईद का चाँद हो रहा था। आज कैसे टेम मिलगया भाई। तब तक मनबीर पीपल तलै पहुंच गया था। टूटे गोडा तै बैठते हुए बोला भाई मेरी भैंस तकलीफ में थी पॉँच दिन में ठीक हुई है। थारै तै मिले बिना मन बेचैन होरा था। इस लिए ठीक होते ही चला आया। धर्मबीर बोला तुने बताया नही तेरी भैंस को हुआ क्या था। मेरी भैंस का जाथरथा थोड़ा और कटडी का साईज था बडा, बडा भी इतना कि महीने भर से भी बडा बसब्याने के समय भैंस की हालत पतली करदी। बडे जोर लगा कै थकली पर कटडी बहार नही निकली। भैंस को ऊँचे निचे पर टहलाने की सलाह ताऊ जागर नै दी टहलने के बाद भैंस ब्या तो गई लेकिन भैंस पै उठा नही गया और गात भी दिखाने लगी। मेरी तो पक्की ड्यूटी लग गई। अब पॉँच दिन बाद ठीक से खाने लगी और दूध भी ठीक से देने लग गई है। मनबीर ने बडे दुखी मन से बताया जिसे सून कर पप्पू बोला भाई भैंसों में तो अजीब किस्म की बीमारी आने लग गई। कल रामभज की भैंस जो एक ही महीने की नई है ने रातको सारा गात निकाल दिया सुबह डॉक्टर ने बडी मुस्किल से चढाया। अब क्या भरोसा नो महीने कैसे पुरे करेगी। धर्मबीर बोला दादा जुगलाल बताया करदा। भैस गात दो कारणों से निकाले है। एक तो पेसाब की गर्मी से दूसरा बचेदानी पर जख्म होने से, जिसमे पेसाब की गर्मी का एक सस्ता और आसान इलाज है। पंसारी की दुकान से पचास ग्राम सुरमा आँखों में डालने वाला जो पत्थर के रूप में मिलता है। पचास ग्राम सुरमा लेकर बारीक़ पीसकर किसी भी तरीके से भैस को खिलादो। भैस लगभग एक महीने तक गात नही निकालती महीने से पहले दूसरी खुराक दे देनी चाहिए। दुसरे कारण के लिए जिसमे बच्चेदानी में जख्म या सुजन हो उस का इलाज है । एक पाव चाय पत्ती ऊबालकर ठंडा होने पर एक पाव सरसों का तेल मिला कर देना चाहिए। इस क्रिया को तीनदिन बाद दुहराना चाहिए। पप्पू बोला ये बात रामभज को बताना चाहिए। दादा जुगलाल तो भैसों के कईनुक्ते बताया करदा जिनको हमे याद करके लिख लेना चाहिए। अब बताने वाले कम ही रहगये हैं।

Tuesday, July 28, 2009

पीपल तलै की

साधू का पप्पू खेती तो घणी कर ही रहा है पर अपने आप नै गाम तै घणा ऐ सयाना भी मानै सै। बादलां कानी देख कै रोना सा मुहं कर लिया अर् न्यूँ कहन लग्गा भाई काल पड़ग्या अर इबके मरगे। मनै तो कपास में तीसरे साल की तरह स्प्रे भी चार मार लिए। मारलिए तो के होग्या कपास तेरी सब से टॉप में सै तेरे काल के मांगै - नफे का कृष्ण हँसकै बोल्या। मनै मनबीर की कपास देखते देखते तीन महीने हो लिए। उस नै इब तक एक भी स्प्रे कोनी मारा सै। उस की कपास में हरा तेला, सफेद मक्खी , मिलीबग अर चुरडा खूब हो रहा सै। "खूब कितना?" -नरेंद्र नै डाक्टरी अंदाज में पूछा। कृष्ण बोला, "ब्होत घना।" घन्ना कितना यह तो बात नही बनी। जब तक हम गिनती नही कर लेते हमे पता नही लगेगा कि कितने रस चोसक कीट व् कितने मांसाहारी कीट तथा कितने परजीव्याभ मनबीर कि कपास में मौजूद हैं। डाक्टर सुरेन्द्र दलाल ने हमें बताया था कि यदि कपास में प्रति पत्ता दो हरे तेले , छ सफ़ेद मक्खी, व् दस चुरडे प्रति पत्ता नही मिलते तब तक किसी भी कीटनाशक का स्प्रे करने से हमें नुक्सान ही होगा नकि लाभ। दूसरा हमें अपने खेत में पौधों की संख्या का पता हो जैसे मनबीर के खेत में 2950 पौधे हैं, उनसे प्रति पौधे पर रस चोसक कीटों की औसत संख्या तथा औसत मांसाहारी कीटों की संख्या से गुना करने से कुल रस चोसक कीटों तथा कुल मांसाहारी कीटों की संख्या का पता चल जाता है। मांसाहारी कीटों की प्रति दिन रस चोसक कीटों को खाने की क्षमता का पत्ता होने पर हम जान सकते हैं कि कितने दिन में मांसाहारी कीट रस चोसक कीटों को खा सकते हैं । हमें यह भी देखना चाहिए कितने मिलीबग राजी-बाजी हैं और कितने मिलीबग में अंगीरा के बच्चे पल रहे हैं पप्पू से रहा नही गया, बोला हम के दाई सा जो हमने ये पता चल जाएगा कि कोसा मिलीबग कद किस के बच्चे देगा। नरेंद्र फ़िर उछला युतो जमा ही आसान काम है जिस मिलीबग की कड़ नरसिम्हा राव के सिर जैसी दीखै ओ मिलीबग तो समझो अंगीरा के बच्चो का घर है। पप्पू बोला- आज तो होगी वार। तड़कै जरुर कापी पेन लाऊंगा। मैने भी यु निरिक्षण सिखा दो । इब समझ आई यु मनबीर मेरे तै बचत ज्यादा क्यूकर काढै सै। तड़कै जरुर अइयो -भाइयो मेरा भी भला होज्यागा।